2024 लोकसभा चुनाव के नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है। सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के प्रथम चरण जहां आठ लोकसभा सीटों के नामांकन 20 से 27 तक होना है नामांकन वापसी 30 मार्च को कंप्लीट हो जाएगा। एक अप्रैल से प्रक्रिया चुनाव प्रचार शुरू होकर 19 अप्रैल को पहला मतदान होगा। इस बीच अभी सारे राजनीतिक दलों ने प्रत्याशी घोषित नहीं किये है। अभी तक भारतीय जनता पार्टी सबसे अधिक 51 प्रत्याशी घोषित की थी लेकिन बाराबंकी में उपेंद्र सिंह रावत का एक वीडियो लीक होने के बाद उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया। 50 प्रत्याशी उसके चुनाव मैदान में उतर चुके हैं।
सबसे महत्त्वपूर्ण कुछ ऐसी सीटें हैं जिसे कैसरगंज, और मां बेटे मेनका गांधी वरुण गांधी की सीटें पीलीभीत और सुल्तानपुर ऐसे तीन-चार सीटें हैं जो सबसे महत्त्वपूर्ण है। जहां पर अभी तो निर्णय नहीं हो पाया लेकिन पिलीभीत का प्रथम चरण में चुनाव है तो इसका निर्णय 27 मार्च से पहले ही लेना पड़ेगा। नामांकन का आखिरी दिन है इसी तरह से समाजवादी पार्टी ने अभी तक जो है 45 प्रत्याशी घोषित किए और एक सीट उन्होंने अपने सहयोगी ममता बनर्जी को दिया है। जहां से ललितेश त्रिपाठी चुनाव लड़ रहे हैं। जो कमलापति पार्टी के पौत्र हैं। बीएसपी ने 17 प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं और ओम प्रकाश राजभर ने अपने बेटे को अरविंद राजभर को घोसी से चुनाव मैदान में उतारा है। अभी तक सारे प्रत्याशी सभी चरण के घोषित नहीं हुए हैं।
यह भी माना जा रहा है कि जिन प्रत्याशियों को भाजपा ने चुनाव मैदान में उतारा है उनमें कई ऐसे भी हैं जिनके नामों पर पुनर्विचार की भी चर्चा चल रही है लेकिन स्थितियां दो-तीन दिन के अंदर क्लियर हो सकती हैं। उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा राज्य है केंद्र की सत्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरती है। इसलिए प्रत्याशी चयन बहुत महत्त्वपूर्ण है जो भी इश्यूज हो चेहरे हो जितना भी तैयारी हो लेकिन उसमें प्रत्याशी की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण है इसलिए उत्तर प्रदेश में भाजपा ने तो बहुत बड़ा रिस्क लिया है अपने 46 सांसदों को पुनः मैदान में उतारा है। जिनके खिलाफ काफी नाराजगी भी है लेकिन माना जाता है कि मोदी और योगी के नाम पर की बैतरणी पार हो जाएगी चुनाव जीत जाएंगे। इनकी जो नकारात्मकता रही क्षेत्र में जो जनता की नाराजगी है वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चेहरे और योगी आदित्यनाथ द्वारा किए गए कार्यों के पीछे छिप जाएगी और इसलिए भारतीय जनता पार्टी ने इन्हें मैदान में उतारा लेकिन ऐसी स्थिति दूसरे दलों के साथ नहीं है।
कांग्रेस के गठबंधन समाजवादी पार्टी से जरूर हुआ है। 17 सीटें उसे दी गई हैं लेकिन अभी तक उसके एक भी प्रत्याशी घोषित नहीं किए। यहां तक कि अमेठी रायबरेली जहां से नेहरू गांधी परिवार लगातार 75 वर्षों से जीत रहा हैं अमेठी में 2019 में राहुल गांधी चुनाव हारने के बाद रायबरेली की स्थितियां भी बहुत अच्छी नहीं है इसलिए दोनों सीटों पर नेहरू गांधी परिवार का प्रत्याशी होगा यह भी तरह-तरह की चर्चाएं हैं। सभी दल सोच समझ के अपने अपने प्रत्याशी मैदान में उतार रहे हैं।