एक दशक पहले जिसने केजरीवाल का चेहरा देखा हो जो भ्रष्टाचार मुक्त भारत के अभियान का कलश लेकर शपथ के साथ निकले थे। एक दशक बीतते बीतते आज उसी भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में जा चुके हैं। ऐसा नहीं है कि राजनीतिक दल हरिशचंद होते हैं क्योंकि सियासत ही काजल की कोठरी है। कोई भी ईमानदार व्यक्ति के लिए सियासत करना बहुत आसान नहीं है और ना ही आज के माहौल में संभव है। केजरीवाल ने भ्रष्टाचार अभियान को ही समाप्त कर दिया। अगले 100 साल तक कोई भ्रष्टाचार अभियान चलाकर सत्ता परिवर्तन नहीं कर पाएंगा।
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- अगर भ्रष्टाचार में नोबेल पुरस्कार मिलता होता तो निश्चित रूप से भारतीय भ्रष्ट नौकरशाह सबसे बड़े हकदार होते ?