आधुनिक भारत के निर्माता पंडित नेहरू के वे 5 फैसले जिन्होंने बदल दी देश की तस्वीर

पंडित जवाहरलाल नेहरू की आज जयंती है। देश के पहले प्रधानमंत्री होने के साथ ही पंडित नेहरू आधुनिक भारत के निर्माता भी कहे जाते हैं। देश की आजादी से लेकर आजाद भारत को समृद्ध बनाने तक में पंंडित नेहरू का अहम योगदान रहा है। आजादी से पहले पं‍डित नेहरू ने स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई थी। आजादी की लड़ाई के चलते उन्हें 9 बार जेल जाना पड़ा था। वहीं, भारत के आजाद होने के बाद पंडित नेहरू ने शिक्षा, सामाजिक सुधार, आर्थिक क्षेत्र, राष्ट्रीय सुरक्षा और औद्योगीकरण सहित कई क्षेत्रों में किया। पंडित जवाहरलाल नेहरू अपने विचारों और अपने उल्लेखनीय कार्यों की वजह से ही महान बने। आजादी के बाद नेहरू ने देश की तस्वीर बदलने के लिए कई कड़े फैसले लिए। आइए जानते हैं नेहरू के उन फैसलों के बारे में जिन्होंने भारत की नई तस्वीर बनाई….

1. जब नेहरू ने भारत को दिए ‘नवीन मंदिर’
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने देश को आधुनिक बनाने के लिए जो काम किए उन्हें भुलाया नहीं जा सकता है। और यही कारण है कि उन्हें ‘आधुनिक भारत का निर्माता’ कहा जाता है। उन्होंने शिक्षा से लेकर उद्योग जगत को बेहतर बनाने के लिए कई काम किए। उन्होंने आईआईटी, आईआईएम और विश्वविद्यालयों की स्थापना की। साथ ही उद्योग धंधों की भी शुरूआत की। उन्होंने भाखड़ा नांगल बांध, रिहंद बांध और बोकारो इस्पात कारख़ाना की स्थापना की थी। वह इन उद्योगों को देश के आधुनिक मंदिर मानते थे।

2. पंचवर्षीय योजनाओं की शुरुआत
जवाहरलाल नेहरू ने अपनी दूरदृष्टि और समझ से जो पंचवर्षीय योजनाएं बनाईं उनसे देश को आज भी लाभ मिल रहा है। पहली पंचवर्षीय योजना 1951-56 तक लागू हुई। शुरुआत में लोगों के मन में इस योजना के सफल होने को लेकर संदेह था। लेकिन 1956 में पहली पंचवर्षीय योजना के नतीजों ने इस पर आशंकाएं कम कर दीं। इस योजना के दौरान विकास दर 3.6 फीसदी दर्ज की गई। इसके अलावा प्रति व्यक्ति आय सहित अन्य क्षेत्रों में भी बढ़ोतरी हुई। पहली पंचवर्षीय योजना कृषि क्षेत्र को ध्यान में रखकर बनाई गई तो दूसरी (1956-61) में औद्योगिक क्षेत्रों पर ध्यान दिया गया।

3. मजबूत लोकतंत्र में नेहरू की आस्‍था
1952 में देश में पहली बार आम चुनाव हुए थे। नेहरू लोकतंत्र में आस्था रखते थे। आम चुनाव 1957 और 1962 में लगातार जीत के बाद भी उन्होंने विपक्ष को पूरा सम्मान दिया। संसद में नेहरू विपक्षी नेताओं की बात ध्यान से सुनते थे। 1963 में अपनी पार्टी के सदस्यों के विरोध के बावजूद भी उन्होंने अपनी सरकार के खिलाफ विपक्ष की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा कराना मंजूर किया। अटल जी ने पंडित नेहरू से कहा था कि उनके अंदर चर्चिल भी है और चैंबरलिन भी है। लेकिन नेहरू उनकी बात का बुरा नहीं माने। उसी दिन शाम को दोनों की मुलाकात हुई तो नेहरू ने अटल की तारीफ की और कहा कि आज का भाषण बड़ा जबरदस्त रहा। नेहरू विपक्ष के नेताओं द्वारा की गई आलोचना का बुरा नहीं मानते थे और उनका सम्मान करते थे।

4. भारत को बना दिया हमेशा के लिए अखंड
जब दक्षिण भारत में अलग देश की मांग उठी तब नेहरू ने जो फैसला लिया उसने देश की एकता और अखंडता को और भी मजबूत कर दिया। ‘द्रविड़ कड़गम’ पहली गैर राजनीतिक पार्टी थी जिसने द्रविड़नाडु (द्रविड़ों का देश) बनाने की मांग रखी। द्रविड़नाडु के लिए आंदोलन शुरू हुआ। लेकिन नेहरू ने देश की अंखडता को बनाए रखने के लिए एक बड़ा कदम उठाया। नेहरू की अगुवाई में कैबिनेट ने 5 अक्टूबर 1963 को संविधान का 16वां संशोधन पेश कर दिया। और इसी के साथ अलगावादियों की कमर टूट गई। इस संशोधन के माध्यम से देश की संप्रभुता एवं अखंडता के हित में मूल अधिकारों पर कुछ प्रतिबंध लगाने के प्रावधान रखे गए साथ ही तीसरी अनुसूची में भी परिवर्तन कर शपथ ग्रहण के अंतर्गत ‘मैं भारत की स्वतंत्रता एवं अखंडता को बनाए रखूंगा’ जोड़ा गया। संविधान के इस संशोधन के बाद द्रविड़ कड़गम को द्रविड़नाडु की मांग को हमेशा के लिए भूलना पड़ा।

5. आज भी कायम है नेहरू की विदेश नीति
नेहरू चाहते थे कि भारत किसी भी देश के दबाव में न आए और विश्व में उसकी स्वतंत्र पहचान हो। जवाहरलाल नेहरु की विदेश नीति का महत्वपूर्ण हिस्सा था उनका पंचशील का सिद्धांत जिसमें राष्ट्रीय संप्रभुता बनाए रखना और दूसरे राष्ट्र के मामलों में दखल न देने जैसे पांच महत्वपूर्ण शांति-सिद्धांत शामिल थे। नेहरू ने गुटनिरपेक्षता को बढ़ावा दिया। गुटनिरपेक्षता का मतलब यह है कि भारत किसी भी गुट की नीतियों का समर्थन नहीं करेगा और अपनी स्वतंत्र विदेश नीति बरकरार रखेगा।