सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने सोमवार को मांग की कि सत्तारूढ़ भाजपा स्पष्ट करे कि क्या मराठा समुदाय को महाराष्ट्र में ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण दिया जाएगा।
विपक्षी दलों पर डाल रही जिम्मेदारी
जरांगे ने जालना जिले में 20 जुलाई से शुरू हुए अनिश्चितकालीन अनशन स्थल पर संवाददाताओं से बातचीत में भाजपा पर आरोप लगाया कि वह मराठा आरक्षण के मुद्दे पर जिम्मेदारी विपक्षी दलों पर डाल रही है। वह उस मसौदा अधिसूचना के क्रियान्वयन के लिए अनशन कर रहे हैं, जिसमें कुनबियों को मराठा समुदाय के सदस्यों का रक्त संबंधी माना गया है।
‘वोट बैंक’ के तौर पर हो रहा इस्तेमाल
उन्होंने कहा, ‘मराठा कोटा पर विपक्षी दलों से उनका रुख क्यों पूछा जाता है? भाजपा को स्पष्ट करना चाहिए कि मराठों को आरक्षण मिलने जा रहा है या नहीं।’ उन्होंने राज्य सरकार पर मराठा समुदाय की चिंताओं पर विचार किए बिना ‘वोट बैंक’ के तौर पर इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।
दो साल से अधिक समय से सत्ता में…
जरांगे ने उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस की उस कदम की आलोचना की, जिसमें मराठा कोटा पर विपक्षी दलों से अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा गया है। उन्होंने पूछा, ‘सरकार दो साल से अधिक समय से सत्ता में है लेकिन मराठाओं को (ओबीसी श्रेणी के तहत) कोटा निर्धारित करने की बजाय उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं। वे कब तक आरक्षण पर यही आश्वासन देते रहेंगे?’
राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं
भाजपा एमएलसी प्रसाद लाड की अपील के जवाब में जरांगे ने कहा कि वह पिछले 10 महीनों से विरोध-प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे हैं, लेकिन उन्हें राजनीति में प्रवेश करने में कोई दिलचस्पी नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि हम राजनीति में शामिल नहीं होना चाहते। हालांकि, अगर मराठाओं को आरक्षण दिलाने में असफल हुए तो उन्हें राजनीति में शामिल होना होगा। उनके पास अब कोई विकल्प नहीं बचा है।
इसके अलावा, जरांगे ने महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल पर ओबीसी समुदाय को भड़काने का आरोप लगाया और विरोध प्रदर्शन शुरू करने की संभावना का संकेत दिया।