कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) भूमि घोटाले से संबंधित आरोपों के संबंध में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर मुकदमा चलाने की इजाजत दे दी है। यह फैसला RTI कार्यकर्ता टीजे अब्राहम द्वारा दर्ज की गई शिकायत के बाद लिया गया है. इस फैसले के बाद राज्य में राजनीतिक तनाव बढ़ गया है। मुख्यमंत्री का कहना है कि हाई कमांड उनके साथ है, पूरी कैबिनेट, सरकार और विधायक सभी उनके साथ हैं। उन्होंने कहा कि राजभवन का केंद्र की तरफ से राजनीतिक इस्तेमाल किया जा रहा है।
सिद्धारमैया के खिलाफ आरोप मुख्य रूप से MUDA द्वारा किए गए भूमि आवंटन में गड़बड़ी से संबंधित है। आरोप है कि ऐसा करके उन्होंने अपनी पत्नी पार्वती सिद्धारमैया को फायदा पहुंचाया था। हालांकि, मुख्यमंत्री पहले इन आरोपों को खारिज कर चुके हैं और दावा कर चुके हैं सीएम रहते उन्होंने इस मामले में हस्तक्षेप नहीं किया था।सिद्धारमैया ‘अगर अथॉरिटी की जमीन है’ तो वापस करके दूसरी पर्याप्त जमीन की मांग कर चुके हैं।
तीन एकड़ जमीन के अधिग्रहण का केस
2021 में, MUDA ने विकास के लिए केसर गांव में उनकी 3 एकड़ की जमीन का अधिग्रहण की थी। बाद में मैसूर के एक रिच शहर विजयनगर में उनकी जमीनों को फिर से आवंटित किया गया। आलोचकों का दावा है कि आवंटित जमीनों का बाजार मूल्य उनकी जमीन की कीमत से काफी ज्यादा थी।
आवंटन प्रक्रिया में हेराफेरी का मामल
अभियोजन की अनुमति देने से पहले राज्यपाल ने सिद्धारमैया को 26 जुलाई को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसमें उनके खिलाफ आरोपों के बारे में स्पष्टीकरण मांगा गया था। अब्राहम ने पार्वती को आवंटित मुआवजे वाली जमीनों को वापस लेने का भी आग्रह किया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि भूमि आवंटन प्रक्रिया के दौरान अवैध रूप से हेरफेर हुआ था।
सिद्धारमैया पर एक और आरोप
कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने सिद्धारमैया के खिलाफ एक निजी आपराधिक शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें उन पर MUDA भूमि को पारिवारिक संपत्ति के रूप में दावा करने को लेकर डॉक्यूमेंट्स में जालसाजी का आरोप लगाया गया है। इस शिकायत की जांच के लिए अभी राज्यपाल की मंजूरी की जरूरत है. हालांकि, सीएम सिद्धारमैया ने इन आरोपों का खंडन किया है और आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया है।
कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा कि राजभवन का दुरुपयोग भाजपा द्वारा लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को कमजोर करने के लिए किया जा रहा है। राज्य का संवैधानिक प्रमुख अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए संवैधानिक संकट को जन्म दे रहा है। केंद्र सरकार इसके पीछे अपनी पूरी ताकत लगा सकती है, लेकिन हम संविधान के साथ मजबूती से खड़े हैं।