पश्चिम बंगाल विधानसभा में एंटी रेप बिल पास (West Bengal Anti Rape Bill) हो गया है. ममता सरकार ने अपराजिता विधेयक को कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या की घटना के बाद विधानसभा में पेश किया था. इसके लिए विधानसभा का स्पेशल सत्र बुलाया गया था. सत्र के पहले दिन आज एंटी रेप बिल पेश सदन में पेश किया गया था. सरकार ने इस बिल को अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक 2024 नाम दिया है.इस दौरान सीएम ममता बनर्जी ने विधानसभा में इस बिल के समर्थन में कई उदाहरण दिए.
विधानसभा में बिल पर बहस के दौरान सीएम ममता बनर्जी ने साल 2020 में उत्तर प्रदेश के हाथरस में 20 साल की दलित महिला के साथ रेप और 2013 में बंगाल के उत्तरी 24 परगना जिले में एक कॉलेज छात्रा की रेप और बर्बर हत्या के साथ ही पिछले हफ्ते जयपुर में एक सरकारी अस्पताल में एक बच्चे के रेप का जिक्र किया. उन्होंने कहा, “यूपी और गुजरात जैसे राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर असामान्य रूप से ज्यादा है. वहां न्याय नहीं है, लेकिन बंगाल की महिलाओं को अदालतों में न्याय मिलेगा.”
“हम समर्थन करेंगे, कानून तत्काल प्रभाव से लागू हो”
बिल पेश होने के बाद नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने कहा, हम चाहते हैं कि यह कानून तत्काल प्रभाव से लागू हो. इसे लागू करवाना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. हमें परिणाम चाहिए. यह सरकार की जिम्मेदारी है. हम आपका पूरा समर्थन करते हैं, हम मुख्यमंत्री के बयान को आराम से सुनेंगे, वह जो चाहें कह सकती हैं लेकिन आपको गारंटी देनी होगी कि यह बिल तुरंत लागू किया जाएगा.”
एंटी रेप बिल के बारे में जानिए
- इस बिल के भीतर रेप और हत्या करने वाले आपराधी के लिए फांसी की सजा का प्रावधान.
- चार्जशीट दायर करने के 36 दिनों के भीतर सजा-ए-मौत का प्रावधान.
- 21 दिन में जांच पूरी करनी होगी.
- अपराधी की मदद करने पर 5 साल की कैद की सजा का प्रावधान.
- हर जिले के भीकर स्पेशल अपराजिता टास्क फोर्स बनाए जाने का प्रावधान.
- रेप, एसिड, अटैक और छेड़छाड़ जैसे मामलों में ये टास्क फोर्स लेगी एक्शन.
- रेप के साथ ही एसिड अटैक भी उतना ही गंभीर, इसके लिए आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान.
- पीड़िता की पहचान उजागर करने वालों के खिलाफ 3-5 साल की सजा का प्रावधान.
- विधेयक में रेप की जांच और सुनवाई में तेजी लाने के लिए BNSS प्रावधानों में संशोधन शामिल.
- सभी यौन अपराधों और एसिड अटैक की सुनवाई 30 दिनों में पूरी करने का प्रावधान.
अपराजिता बिल कैसे बनेगा कानून?
अपराजिता विधेयक को पारित होने के लिए राज्यपाल, राष्ट्रपति की मंजूरी की जरूरत होगी. विधानसभा में अपराजिता बिल पारित हो चुका है, अब इसे हस्ताक्षर के लिए राज्यपाल के पास भेजा जाएगा. इसके बाद इसे राष्ट्रपति से मंजूरी मिलना जरूरी है. 294 सदस्यीय राज्य विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस को 223 विधायकों का समर्थन है, इसीलिए इस बिल का पारित होना मुश्किल नहीं रहा. हालांकि इस विधेयक को राज्यपाल और राष्ट्रपति दोनों की मंजूरी की जरूरत होगी. ऐसे कई उदाहरण हैं, जिससे पता चलता है कि यह कितना मुश्किल हो सकता है.
एंटी रेप बिल कानून बनना कितना मुश्किल?
साल 2019 के आंध्र प्रदेश दिशा विधेयक और 2020 के महाराष्ट्र शक्ति विधेयक में सभी रेप और गैंगरेप के मामलों के लिए सिर्फ एक ही सजा यानी कि मौत का प्रावधान था. दोनों को राज्य विधानसभाओं में सर्वसम्मति से पारित किया गया था, लेकिन आज तक किसी को भी राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिली है. इससे पता चलता है कि इसका कानून बनना कितना मुश्किल भरा हो सकता है.
एंटी रेप बिल से लगेगी अपराध पर लगाम?
विधेयक में BNS और BNSS के साथ-साथ 2012 के पोक्सो अधिनियम के कुछ हिस्सों में संशोधन करने और पीड़िता की उम्र चाहे जो हो, कई तरह के यौन उत्पीड़न के मामलों में मौत की सजा का प्रावधान है. कोलकाता में डॉक्टर बेटी के लिए इंसाफ की मांग के बीच हो रहे उग्र प्रदर्शनों के बाद सीएम ममता बनर्जी ने एंटी रेप बिल लाने का ऐलान किया था. विधानसभा में पेश इस बिल में महिलाओं और बच्चों संग क्राइम को लेकर कई नियमों का प्रावधान हैं, जिससे इस तरह की घटनाओं पर लगाम कसी जा सके.