24 अक्टूबर 2024 को अमेरिका के न्यूयॉर्क की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में एक इनडाइक्टमेंट दर्ज हुआ। इनडाइक्टमेंट का मतलब है अभियोग। अमेरिका में यहीं से मुकदमे की शुरुआत होती है। इस डॉक्यूमेंट में गौतम अडाणी समेत 8 लोगों को आरोपी बनाया गया है। 21 नवंबर को यही डॉक्यूमेंट सार्वजनिक होने के बाद से हंमागा मचा हुआ है। हालांकि, अडाणी ग्रुप ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।
1. गौतम अडाणी के साथ कौन-कौन आरोपी?
अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट के आरोप-पत्र में 8 लोगों के नाम हैं। इसमें 7 लोग भारतीय हैं। इनमें गौतम अडाणी और उनके भतीजे सागर अडाणी का नाम शामिल है। वहीं, 1 आरोपी ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस का नागरिक है, लेकिन सिंगापुर में रहता है।
इनके अलावा आंध्र प्रदेश के एक बड़े सरकारी अधिकारी सहित दो अन्य लोगों के इस साजिश में शामिल होने की बात कही गई है। हालांकि, इनके नाम की जानकारी नहीं दी गई है। सरकारी अधिकारी के बारे में कोई अन्य जानकारी नहीं है, लेकिन दो अन्य साजिशकर्ताओं के बारे में कुछ बाते बताई गई हैं।
पहला साजिशकर्ता यूनाइटेड किंगडम का नागरिक है। हांगकांग में रहता है और करीब अक्टूबर, 2021 से अक्टूबर, 2023 तक अमेरिकी जारीकर्ता और उसकी सहायक कंपनी के बोर्ड का नॉन एग्जिक्यूटिव चेयरमैन था। वहीं, दूसरा साजिशकर्ता भारतीय नागरिक है। ये जुलाई, 2019 से अप्रैल, 2022 तक अमेरिकी जारीकर्ता और उसकी सहायक कंपनी में बड़ा अधिकारी था।
2. SECI से टेंडर मिलने के बाद शुरू हुई रिश्वत देने की प्लानिंग
सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया यानी SECI ने देश में 12 गीगावॉट की एनर्जी की आपूर्ति के लिए कॉन्ट्रैक्ट निकाला था। SECI भारत सरकार की रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी है, जिसका उद्देश्य देश में सोलर एनर्जी के इस्तेमाल को बढ़ाना है।
अभियोग पत्र के मुताबिक, दिसंबर 2019 और जुलाई 2020 के बीच अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड यानी AGEL और एक विदेशी फर्म ने कॉन्ट्रैक्ट जीत लिया। उन्हें लेटर ऑफ अवॉर्ड (LOA) जारी कर दिया गया। इसके मुताबिक SECI को कुल 12 गीगावाट बिजली सप्लाई करनी थी।
टेंडर की शर्तों के मुताबिक बिजली खरीदने के लिए राज्य बिजली वितरण कंपनियां खोजने की जिम्मेदारी SECI की थी। SECI को एक निश्चित कीमत पर सोलर एनर्जी खरीदने के लिए मजबूर किया गया। ये कीमत इतनी ज्यादा थी कि SECI को बिजली खरीदार ढूंढने मुश्किल हो गए। इस वजह से अमेरिकी जारीकर्ता और भारतीय एनर्जी कंपनी की सहायक कंपनी नुकसान हुआ।
अभियोग पत्र के मुताबिक 2020 के आसपास गौतम अडाणी, सागर अडाणी, विनीत जैन, रणजीत गुप्ता और को-कॉन्सपिरेटर 2 ने कई अन्य लोगों के साथ मिलकर भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने की प्लानिंग की।
3. रिश्वत के लिए अडाणी ने अधिकारियों से खुद कई बार मुलाकात की
आरोपी राज्य बिजली वितरण कंपनियों के अधिकारियों को बिजली खरीदने के लिए रिश्वत देने की कोशिश करने लगे। आपस में चर्चा करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक मैसेजिंग एप्लिकेशन का इस्तेमाल करते थे। इसके लिए गौतम अडाणी ने आंध्र प्रदेश की बिजली वितरण कंपनियों के अधिकारियों से खुद मुलाकात की। ये मुलाकात साल 2021 में 7 अगस्त, 12 सितंबर और 20 नवंबर के आसपास हुई थीं।
4. विनीत का कोडनेम ‘स्नेक’, अडाणी ‘द बिग मैन’
अभियोग पत्र के मुताबिक रिश्वत के बारे में बात करते वक्त अन्य आरोपी गौतम अडाणी और विनीत जैन को कोडवर्ड में संबोधित करते थे। गौतम अडाणी का कोडनेम- ‘SAG’ , ‘मिस्टर A’, ‘न्यूमरो उनो’ और ‘द बिग मैन’ रखा गया था। विनीत जैन का कोडनेम- ‘V’, ‘स्नेक’ और ‘न्यूमरो उनो माइनस वन’ रखा गया।
5. ₹2,029 करोड़ की रिश्वत में ₹1,750 करोड़ सिर्फ आंध्र प्रदेश में
अभियोग पत्र के मुताबिक आरोपियों ने भारतीय सरकारी अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर यानी करीब 2,029 करोड़ रुपए रिश्वत की पेशकश की या वादा किया गया। इसमें से 228 मिलियन डॉलर यानी करीब 1,750 करोड़ रुपये आंध्र प्रदेश की बिजली वितरण कंपनी के अधिकारी को देने की पेशकश की गई, ताकि 7 गीगावाट बिजली बेची जा सके। भारतीय धनराशि का अमेरिकी डॉलर में कन्वर्जन अप्रैल, 2022 की दर के अनुसार है।
अधिकारियों को रिश्वत देने के वादे के बाद जुलाई, 2021 से फरवरी 2022 के बीच ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश की बिजली वितरण कंपनियां बिजली खरीदने को राजी हो गईं। आंध्र प्रदेश की कंपनी ने दिसंबर, 2021 में करीब 7 गीगावाट सोलर एनर्जी खरीदने पर सहमति व्यक्त की।
6. रिश्वत की डीटेल्स के लिए बनाए ब्राइब नोट्स, प्रति मेगावाट के हिसाब से तय थी रिश्वत
अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट के मुताबिक सागर अदाणी ने रिश्वत की डीटेल्स ट्रैक करने के लिए अपने सेल फोन में “ब्राइब नोट्स” बनाई थी। इसमें रिश्वत की राशि और बेची जाने वाली सोलर एनर्जी की मात्रा के साथ ही किस राज्य के अधिकारियों को रिश्वत की पेशकश की गई, जैसी डिटेल्स रखी गईं।
ब्राइब नोट से जानकारी मिलती है कि प्रति मेगावाट बिजली बेचने के लिए दी जाने वाली रिश्वत तय थी। साथ ही रिश्वत लेने वाले सरकारी अधिकारियों के संक्षिप्त पद नाम और राज्य में अधिकारियों के बीच बांटी गई कुल रिश्वत की जानकारी भी मिलती है।
7. रिश्वत देने का तरीका तय करने के लिए PPT बनाई
अभियोग पत्र के मुताबिक, 25 अप्रैल 2022 के आसपास गौतम अडाणी, विनीत जैन, रणजीत गुप्ता और को-कॉन्स्पिरेटर- 2 ने ब्राइब प्लानिंग पर चर्चा के लिए नई दिल्ली मिलने की योजना बनाई। इसके लिए जैन ने अपने मोबाइल से एक दस्तावेज की तस्वीर खींची जिससे पता चलता है कि भारतीय एनर्जी कंपनी ने अमेरिकी कंपनी की तरफ से रिश्वत दी।
भारतीय एनर्जी कंपनी ने 638 करोड़ रुपये की रिश्वत ऑफर की। इसमें से अमेरिकी कंपनी को अपना हिस्सा भारतीय एनर्जी कंपनी को चुकाना था। 29 अप्रैल, 2022 के आसपास रुपेश अग्रवाल और को-कॉन्स्पिरेटर- 1 ने गौतम अडाणी, सागर अडाणी और विनीत जैन से गुजरात के अहमदाबाद में ग्रुप के कॉर्पोरेट ऑफिस में मुलाकात की।
इस दौरान गौतम अडाणी ने ब्राइब प्लान पर विस्तार से चर्चा की। इसके बाद सिरिल कैबनेस, सौरभ अग्रवाल, दीपक मल्होत्रा, रुपेश अग्रवाल और को-कॉन्स्पिरेटर- 1 ने प्लान बनाया कि अमेरिकी जारीकर्ता कंपनी रिश्वत के उस हिस्से का भुगतान कैसे करेगा जो भारतीय एनर्जी कंपनी ने उसकी ओर से दिया या देने का वादा किया था।
इसके अलावा अमेरिकी रिपोर्ट से जानकारी मिलती है कि गौतम अडाणी ने सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए निजी रूप से काम किया। साथ ही रिश्वत देने का तरीका तय करने के लिए रुपेश अग्रवाल ने पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन (PPT) और एक्सेल शीट के इस्तेमाल से कई एनालिसिस तैयार किए थे।
8. खुद को बचाने के लिए कराई इंटरनल जांच
17 मार्च 2022 को अमेरिकी सिक्योरिटी एक्सचेंज कमीशन SEC ने अमेरिकी इश्यूअर से 2018 के बाद से उसे मिले कॉन्ट्रैक्ट, टेंडर, फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेज एक्ट FCPA के तहत हुई शिकायतों और उनकी जांच की जानकारी मांगी। अमेरिका के FCPA कानून के तहत अंतरराष्ट्रीय कारोबार में रिश्वत लेने-देने पर पाबंदी है।
25 मार्च 2022 को पहले सह-साजिशकर्ता ने साइरिल कैबेनेस, सौरभ अग्रवाल और दीपक मल्होत्रा को SEC के इस नोटिस के बारे में इलेक्ट्रॉनिक मैसेज भेजकर अलर्ट किया।
29 मार्च 2022 को रणजीत गुप्ता ने भी ऐसा एक मैसेज दीपक मल्होत्रा को भेजा, जिसे उसने कैबनेस और सौरभ अग्रवाल को भेजा। सौरभ अग्रवाल ने जवाब में लिखा, ‘हमें मैनेजमेंट को FCPA के बारे में बताना चाहिए।’
आरोप है कि इसके बाद ही ये सभी सरकारी जांच को प्रभावित करने को तैयार हो गए। इसके लिए उन्होंने जानकारी और दस्तावेज छिपाने के साथ सरकारी एजेंसियों को गलत जानकारी मुहैया कराने की योजना बनाई। अगस्त 2022 में उन्होंने ‘अमेरिकी इश्यूअर’ के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को अपनी ही कंपनी में इंटरनल जांच कराने के लिए मानाया। दरअसल, वे जांच की आड़ में खुद को बचाना चाहते थे।
9. मैसेज-ईमेल डिलीट किए, दस्तावेज-PPT छुपा ली
अभियोग पत्र के मुताबिक, 2022 से लेकर आज तक साइरिल कैबेनेस, सौरभ अग्रवाल, दीपक मल्होत्रा और रूपेश अग्रवाल और सह-साजिशकर्ता-1 ने कई सबूत, दस्तावेज, पॉवरपॉइन्ट एनालिसिस और इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन नष्ट कर दिए या छुपा लिए। जैसे…
जून 2022 को सौरभ अग्रवाल और कैबेनेस ने कुछ इलेक्ट्रॉनिक मैसेज डिलीट किए, जिसमें रिश्वत की जानकारी कनाडाई इन्वेस्टर को देने की बात थी।
अगस्त 2022 में सह-साजिशकर्ता-1 ने दीपक मल्होत्रा और रुपेश अग्रवाल से ई-मेल, इलेक्ट्रॉनिक मैसेज और पावरपॉइन्ट एनालिसिस को नष्ट करने को लेकर बात की, जिसमें घूस मामले से जुड़ी जानकारी थी।
30 सितंबर 2022 को साइरिल कैबेनेस, सौरभ अग्रवाल, दीपक मल्होत्रा और रुपेश अग्रवाल और सह-साजिशकर्ता-1 मिलकर उस एग्रीमेंट को छिपाने के लिए तैयार हुए, जो रिश्वत से जुड़ी पेमेंट और गौतम अडाणी से जुड़ा था।
मार्च-जुलाई 2023 के दौरान न्यूयॉर्क में इन पांच लोगों ने फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI), जस्टिस डिपार्टमेंट और SEC के अधिकारियों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने रिश्वत देने की योजना में खुद के शामिल होने की बात को जानबूझकर नकार दिया।
10. अमेरिकी डॉलर जुटाने के लिए लगाए दांवपेच
कोर्ट में दाखिल दस्तावेज के मुताबिक, 2020 से लेकर 2024 के बीच गौतम अडाणी, सागर अडाणीऔर विनीत जैन घूस देने की प्लानिंग के साथ डॉलर में फंड जुटाने कोशिश भी कर रहे थे। इसके लिए उन्होंने इंडियन एनर्जी कंपनी और उसकी सहायक कंपनियों के फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन अप्रूव किए। इसमें दो तरह से डॉलर जुटाए गए-
अमेरिकी इन्वेस्टर्स और इंटरनेशनल फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन से डॉलर में कर्ज लिया गया।
सिक्योरिटीज एक्ट, 1933 के तहत रूल-144A बॉन्ड जारी किए गए, जिन्हें अमेरिका समेत अन्य जगहों में बेचा गया।
अमेरिकी दस्तावेज में अडाणी पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने इन्वेस्टर्स और लोन देने वालों को लेनदेन के रिस्क और इंडियन कंपनी की घूस प्लानिंग के बारे में नहीं बताया।
गौतम अडाणी, सागर अडाणी और विनीत जैन का कंपनी के लिए फंड जुटाने पर पूरा कंट्रोल था। 10 अक्टूबर 2020 के आस-पास इंडियन एनर्जी कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने एक प्रस्ताव पास किया, जिसमें ‘मैनेजमेंट कमेटी’ को नए सिरे से बनाने और नई शक्तियों को जोड़ने की बात की गई।
इसके बाद गौतम अडाणी, सागर अडाणी और विनीत जैन को मिलाकर 4 सदस्यीय मैनेजमेंट कमेटी बनाई गई। इस कमेटी को बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों से फंड्स जुटाने, सहायक कंपनियों में निवेश करने और सिक्योरिटीज जारी करने की शक्तियां दी गईं।
2020 से 2023 के दौरान गौतम अडाणी और सागर अडाणी कई बार अमेरिका गए। जहां उन्होंने इन्वेस्टर्स और पार्टनर बनने वाले लोगों से मुलाकात की। इसके अलावा उन्होंने अमेरिकी सरकार की जांच पर लोगों को झूठ या गड़बड़ स्टेटमेंट देने के लिए तैयार या मजबूर किया।
11. अडाणी के भतीजे से FBI ने पूछताछ की, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस कब्जे में लिए
17 मार्च 2023 को FBI के स्पेशल एजेंट्स ने सर्च वारंट के आधार पर गौतम अडाणी के भतीजे सागर अडाणी से पूछताछ की। इसके बाद सागर के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को अपने कब्जे में ले लिया। फिर FBI ने सर्च वारंट की एक कॉपी सागर को दे दी और पूछताछ के लिए पेश होने का आदेश दिया।
ये पूछताछ FCPA, सिक्योरिटी फ्रॉड, वायर फ्रॉड को लेकर थी। इसमें बिजनेस प्रॉफिट के बदले इंडियन ऑफिसर को घूस देने या किसी भी तरह का लेन-देन करने को लेकर जिक्र किया गया था।
सागर अडाणी को पूछताछ के लिए FBI की तरफ से जो डॉक्यूमेंट, सर्च वारंट की कॉपी दिए थे। एक दिन बाद 18 मार्च को गौतम अडाणी ने सभी डॉक्यूमेंट्स को खुद को ई-मेल कर लिए।
12. दावा- अडाणी ने NSE और BSE से झूठ बोला
अभियोग पत्र के मुताबिक 15 मार्च 2024 को एक मीडिया हाउस ने एक रिपोर्ट छापी। यह रिपोर्ट अमेरिकी सरकार द्वारा गौतम अडाणी और उनकी कंपनी के खिलाफ घूस मामले में जारी जांच को लेकर थी।
इस रिपोर्ट में कहा गया कि अडाणी और उनकी कंपनी ने अपने फायदे के लिए घूस दी। रिपोर्ट में अडाणी की तरफ से स्टेटमेंट दिया गया कि उन्हें या उनकी कंपनी को जांच को लेकर कोई जानकारी नहीं है। उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया है। जबकि FBI ने सागर अडाणी से पूछताछ की थी। सर्च वारंट दिया था और डिवाइस भी जब्त किया था।
17 मार्च 2024 को ‘इंडियन ग्रुप’ के एक व्यक्ति ने वित्तीय संस्था के एक व्यक्ति को मेल करके बताया कि जो भी बातें मीडिया रिपोर्ट में बताई गई हैं, वह तथ्यहीन, आधारहीन हैं। ये बातें वित्तीय संस्था से जुड़े दर्जनों इन्वेस्टर्स को मेल की गईं।
19 मार्च 2024 को एक व्यक्ति ने 3 अलग-अलग वित्तीय संस्थाओं को मेल भेजा। इस मेल को पहले ‘इंडियन एनर्जी कंपनी’ ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) को भेजा था। इसमें भी झूठी जानकारी दी गई कि अमेरिका के ‘डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस’ के आरोप को लेकर ‘इंडियन एनर्जी कंपनी’ को कोई नोटिस नहीं दिया गया है। जबकि, इंडियन एनर्जी कंपनी और इंडियन ग्रुप को अमेरिका के एंटी करप्शन लॉ और चल रही जांच की जानकारी थी।
13. कंपनी की सालाना रिपोर्ट में करप्शन पर ‘जीरो टॉलरेंस’ की पॉलिसी दोहराई
अभियोग पत्र के मुताबिक 2021 से 2023 तक, हर साल इंडियन एनर्जी कंपनी ने अपनी एनुअल रिपोर्ट साझा की। इसमें कंपनी ने घूस और करप्शन को लेकर ‘जीरो टॉलरेंस’ की बातें दोहराई गई। इस पॉलिसी का रिव्यू गौतम अडाणी, सागर अडाणी और विनीत जैन समेत ग्रुप के अन्य मेंबर ने किया था।
जुलाई 2024 में भी कंपनी ने अपनी इंटरनल रिपोर्ट में संस्था की एंटी-करप्शन पॉलिसी को लेकर ‘जीरो टॉलरेंस’ की बातें कहीं। कंपनी ने स्टेटमेंट दिया, ‘हम सरकारी प्रोजेक्ट में घूस और करप्शन को लेकर ‘जीरो टॉलरेंस’ की पॉलिसी फॉलो कर रहे हैं। हम रिश्वतखोरी, घूस और फ्रॉड में सरकारी अधिकारियों को सहयोग करते रहेंगे। हमारे कर्मचारी, स्टाफ किसी भी तरह के घूस को लेने से इनकार करते हैं।’