स्टालिन ने नायडू के सुर में मिलाए सुर
स्टालिन की यह टिप्पणी आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू की तरफ से अधिक बच्चे पैदा करने की इसी तरह के बयान के एक दिन बाद आई है। नायडू ने रविवार को घोषणा की कि उनका प्रशासन एक ऐसा कानून लाने की योजना बना रहा है जिसके तहत केवल दो या उससे अधिक बच्चे वाले व्यक्ति ही स्थानीय निकाय चुनाव लड़ सकेंगे। उन्होंने राज्य की बढ़ती उम्र की आबादी और जनसांख्यिकीय संतुलन पर इसके प्रभाव के बारे में चिंताओं का हवाला देते हुए परिवारों से अधिक बच्चे पैदा करने का आग्रह किया था।
संसदीय परिसीमन प्रक्रिया से दंपतियों को अधिक बच्चे पैदा करने और छोटा परिवार का विचार छोड़ने के लिए प्रोत्साहन मिल सकता है। अतीत में, बुजुर्ग नवविवाहित जोड़ों को 16 तरह की संपत्ति अर्जित करने और खुशहाल जीवन जीने का आशीर्वाद देते थे। उस आशीर्वाद का मतलब 16 बच्चे पैदा करना नहीं है…लेकिन अब ऐसी स्थिति पैदा हो गई है जहां लोगों को लगता है कि अब उन्हें सचमुच 16 बच्चे पैदा करने चाहिए।
एमके स्टालिन, मुख्यमंत्री तमिलनाडु, एक कार्यक्रम के दौरान
यूरोप, जापान की आबादी का हवाला
नायडू के अनुसार राज्य की जन्म दर गिरकर 1.6 हो गई है। उन्होंने आशंका जताई कि वर्तमान स्थिति जारी रहने से जन्म दर और गिरकर एक या उससे भी कम हो सकती है, जहां समाज में केवल बूढ़े लोग ही दिखाई देंगे। यूरोप, जापान और अन्य क्षेत्रों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि ये देश बुजुर्ग होती आबादी की समस्या से जूझ रहे हैं, जहां वृद्धों की संख्या बढ़ रही है और युवाओं की संख्या घट रही है। नायडू ने तर्क दिया कि दक्षिण भारत भी ऐसी ही स्थिति का सामना कर रहा है।
बच्चों की संख्या का परिसीमन कनेक्शन
दरअसल, दक्षिण भारत में बच्चे अधिक पैदा करने की चर्चा के पीछे राजनीतिक वजह भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब तमिलनाडु सहित अन्य दक्षिणी राज्यों को 2026 में होने वाले परिसीमन के कारण संसदीय प्रतिनिधित्व में संभावित बदलावों का सामना करना पड़ रहा है। स्टालिन को इस बात की चिंता है कि राज्य की लोकसभा में हिस्सेदारी 39 से बढ़कर 41 सीटों तक ही सीमित रूप से बढ़ सकती है। इससे कई लोगों को केंद्र सरकार में राजनीतिक आवाज कम होने का डर है।
परिसीमन के तहत हमारे क्षेत्र (दक्षिण भारत) की संसद सीटें कम हो जाएंगी और वे उत्तरी राज्यों में जुड़ जाएंगी। इसलिए, इससे उबरने के लिए समय नहीं है। इसलिए, जब यहां की आबादी बढ़ेगी, तो हमारी सीटें हमारे पास होंगी।
कोलानुकोंडा शिवाजी, उपाध्यक्ष, आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी
संसदीय परिसीमन से दक्षिण भारत पर असर
लोकसभा सीटों के परिसीमन की प्रक्रिया की शुरुआत साल 2026 से होनी है। ऐसे में साल 2029 तक लोकसभा सीटों की संख्या में 78 सीटों की बढ़ोतरी हो सकती है। जनसंख्या के आधार पर परिसीमन होने की स्थिति में दक्षिण भारत में सीटों पर सीधा असर पड़ेगा। इसकी वजह है दक्षिण भारत की आबादी उत्तर भारत की तुलना में कम है। ऐसे में दक्षिण भारत के राज्य पहले से ही जनसंख्या के आधार पर परिसीमन का विरोध कर रहे हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार साल 2025 तक जनसंख्या के अनुमान के आधार पर यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और हरियाणा में लगभग 53 सीटें बढ़ सकती हैं। वहीं, दक्षिण भारत में सीटों में मामूली बढ़ोतरी ही होगी।