राजेन्द्र द्विवेदी, डेटा स्ट्रीट- हरियाणा एवं जम्मू कश्मीर के चुनाव परिणाम का प्रभाव महाराष्ट्र एवं झारखण्ड विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा। कहने के लिए सीटों की संख्या के अनुसार दोनों राज्य छोटे है और विधानसभा की 90 सीटें है लेकिन इसका राजनीतिक प्रभाव राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी होगा। पुनर्गठित जम्मू कश्मीर में पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। 5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर का विभाजन करके जम्मू कश्मीर में धारा 370 और 35 A को हटाकर लद्दाख को केन्द्र शासित प्रदेश बनाया और जम्मू कश्मीर के राज्य का दर्जा छीन लिया। इसके बाद काफी उतार चाढ़व और आरोप प्रत्यारोपों के बीच चुनाव हो रहे है। विभाजन के बाद कराई गई परिसीमन में जम्मू क्षेत्र में सीटें भी बढ़ी है जिससे श्रीनगर और जम्मू के सीटों का अंतर बहुत कम रह गया है। कांग्रेस और फारूक अब्दुल्ला की पार्टी का गठबंधन है। भाजपा, पीडीपी, नव निर्वाचित सांसद राशिद इंजीनियर सहित छोटे-छोटे दल एवं निर्दलीय चुनाव मैदान में है। जिस तरह से चुनाव बायकॉट और आतंक का माहौल होता था इस बार मतदाता स्वतंत्र होकर मतदान करेंगे। ऐसा माहौल दिखाई दे रहा है।
हरियाणा का चुनाव परिणाम किसान, नौजवान और महिला खिलाड़ी उत्पीड़न पर एक तरह से जनमत संग्रह साबित होगा। जिस तरह से हरियाणा में किसान आंदोलित रहे उनके ऊपर लाठी चार्ज हुए, उन्हें दिल्ली आने से रोका गया। आंतकवादी और तरह तरह से अपशब्दों का प्रयोग किया गया। ऐसे में किसानों में जबरदस्त नाराजगी है। बेरोजगारी का रेट देश में हरियाणा में सबसे ज्यादा है। महिला पहलवानों का उत्पीड़न को लेकर हरियाणा में काफी विरोध हुआ था। हफ़्तों जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन होते थे लेकिन भाजपा ने आरोपी पूर्व कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह पर कोई कार्यवाई नहीं की। मामला अदालत में विचाराधीन है। विनेश फौगाट और पीड़ित अन्य खिलाड़ी कांग्रेस में शामिल हो गए हैं, विनेश फौगाट जुलाना विधानसभा क्षेत्र से चुनाव भी लड़ रही है। जो जाट बहुल्य है।
दोनों राज्यों के चुनाव परिणाम तीसरी बार बनी मोदी सरकार की नीतियों और इंडिया गठबंधन के रणनीति का परिणाम होगा। एनडीए जीतती है तो मोदी की नीतियों पर मोहर लगेगी और इंडिया जीतता है तो मोदी के लिए महाराष्ट्र और झारखण्ड विधानसभा चुनाव के लिए चुनौतियां बढ़ जाएगी।