राजेन्द्र द्विवेदी, द डाटा स्ट्रीट – मतदान के 1 हफ्ते बचे हैं। चुनावी समीकरण बदलते जा रहे हैं। पिछले दिनों कांग्रेस की दलित नेता शैलजा को लेकर हो रही बयानबाजी और उनकी नाराजगी को भाजपा द्वारा दी जा रही हवा, सब पर आज राहुल गांधी ने हरियाणा में चुनावी अभियान शुरू करके विराम लगा दिया। शैलजा, हुड्डा सहित पूरी टीम, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मंच पर उपस्थित थे। जिससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ा। बयानबाजी कम हुई है हालांकि टिकट बंटवारे को लेकर जो नाराजगी है, उसे भी गुटबाज नेताओं के साथ बैठक कर राहुल ने हल करने का कदम उठाया है।
कंगना रनौत तीन कृषि कानून को फिर से लागू करने के दिए गए बयान पर भी कांग्रेस आक्रामक है और इसका नुकसान भी भाजपा को उठाना पड़ेगा। यह बयान उसी तरह से है जैसा 2015 में बिहार चुनाव में आरएसएस प्रमुख के आरक्षण पर दिए गए बयान से भाजपा को उठाना पड़ा था। रनौत के बयान ने किसानों की नाराजगी में घी का काम किया है। राहुल गांधी का आरोप है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने नेताओं के माध्यम से इस तरह का बयान दिला कर उसकी हलचल देखना चाहते हैं। रनौत का बयान मोदी के इशारे पर किया गया प्रयोग है कि इस बयान से क्या प्रतिक्रिया होती है ? बयान दिला कर इसी मुद्दे को भाजपा लागू करना चाहती है। मोदी सरकार की प्रतिक्रिया जानने की पुरानी फितरत है। राहुल गांधी के इस आरोपों का जवाब मोदी सहित भाजपा के सभी वरिष्ठ नेता आक्रामकता के साथ दे रहे हैं। रनौत के बयान को निजी बयान बता कर पल्ला झाड़ रहे हैं। शैलजा विवाद पर दलित उत्पीड़न का आरोप लगा रहा है।
राहुल के अमेरिका में आरक्षण पर दिए गए बयान को दलित पिछड़ों का विरोधी बताते हुए भाजपा धरना प्रदर्शन कर रही हैं। इन आरोप प्रत्यारोप और बयानों के बीच में यूरीड मीडिया की टीम ने जमीनी हक़ीक़त और सर्वे किया उसके अनुसार राहुल गांधी की एंट्री के पहले तक कांग्रेस, सरकार बनाने की स्थिति में थी लेकिन संख्या 50 से कम का अनुमान था। इसके अलावा भाजपा की स्थिति में सुधार हुआ था। उसकी सीट भी 35 तक पहुंच सकती थी ऐसा सर्वे में दिखाई दिया। तीसरी स्थिति में 5-7 सीटें छोटे दल और निर्दलीयों के बीच बटते हुए दिखाई दिये। राहुल गांधी की एंट्री के बाद माहौल में क्या परिवर्तन आया है। कांग्रेस को लाभ मिलेगा या नहीं इसका विश्लेषण सर्वे की रिपोर्ट आने के बाद जल्दी किया जाएगा।