यूरीड मीडिया- अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग के आरोपों को बाजार नियामक SEBI और अडाणी समूह ने बेबुनियाद बताया है। SEBI ने रविवार को कहा कि उसने SEBI समूह के खिलाफ सभी आरोपों की जांच की है। चेयरपर्सन माधबी बुच ने समय-समय पर सभी खुलासे किए हैं। उन्होंने हितों के संभावित टकराव से जुड़े मामलों से खुद को अलग किया है।
SEBI के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 3 जनवरी 2024 तक अडाणी समूह के खिलाफ 24 में से 22 जांच पूरी की है। मार्च 24 तक एक और जांच पूरी कर ली गई। एक बाकी है। SEBI प्रमुख माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने भी हिंडनबर्ग के आरोपों को छवि धूमिल करने की कोशिश बताया।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि पिछले कुछ साल में देखा जा रहा है जब संसद सत्र जारी होता है, उसी समय ऐसे आरोप आते हैं। पीएम पर डॉक्यूमेंट्री, हिंडनबर्ग रिपोर्ट उदाहरण हैं। साफ है कि विपक्ष के तार विदेशों से जुड़े हैं।
रिपोर्ट पर आए SEBI चीफ के बयान पर हिंडनबर्ग ने कहा- हमारी रिपोर्ट पर माधबी बुच की प्रतिक्रिया से कई नए महत्वपूर्ण प्रश्न खड़े हुए हैं। बुच का बयान विनोद अडानी द्वारा कथित तौर पर निकाले गए धन के साथ-साथ एक अस्पष्ट फंड संरचना में उनके निवेश की पुष्टि करती है। उन्होंने यह भी पुष्टि की कि यह फंड उनके पति के बचपन के दोस्त द्वारा चलाया जाता था, जो उस समय अडानी ग्रुप के डायरेक्टर थे।
10 अगस्त को हिंडनबर्ग ने क्या आरोप लगाए-
व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों से पता चलता है कि SEBI की वर्तमान चेयरपर्सन माधबी बुच और उनके पति की अडाणी मनी साइफनिंग घोटाले में इस्तेमाल किए गए दोनों ऑफशोर फंडों (बरमूडा और मॉरीशस) में हिस्सेदारी थी, जिसका इस्तेमाल विनोद अडाणी ने किया था।
ऐसा लगता है कि माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने पहली बार 5 जून, 2015 को सिंगापुर में आईपीई प्लस फंड 1 के साथ अपना अकाउंट खोला था। निवेश का सोर्स “सैलरी” है और कपल की नेटवर्थ $10 मिलियन आंकी गई है।
माधबी बुच को अप्रैल 2017 में SEBI का “होलटाइम मेंबर” नियुक्त किया गया था। इस नियुक्ति से कुछ हफ्ते पहले, माधबी के पति, धवल बुच ने मॉरीशस फंड एडमिनिस्ट्रेटर ट्राइडेंट ट्रस्ट ग्लोबल डायनेमिक अपॉर्चुनिटीज फंड में निवेश के संबंध में ईमेल लिखा था।
ईमेल में, धवल बुच ने “खातों को संचालित करने के लिए अधिकृत एकमात्र व्यक्ति होने” का अनुरोध किया था। हिंडनबर्ग ने कहा- ऐसा लगता है कि राजनीतिक रूप से संवेदनशील नियुक्ति से पहले संपत्ति को अपनी पत्नी के नाम से हटा दिया गया है।
26 फरवरी, 2018 को माधबी बुच के निजी ईमेल को संबोधित एक बाद के अकाउंट स्टेटमेंट में, स्ट्रक्चर की पूरी डिटेल्स सामने आई है: GDOF Cell 90 (IPEplus Fund 1)। उस समय बुच की हिस्सेदारी की वैल्यू 8.72 लाख डॉलर थी।
अप्रैल 2017 से मार्च 2022 तक, माधबी का एगोरा पार्टनर्स नाम की सिंगापुर ऑफशोर कंसल्टिंग फर्म अगोरा पार्टनर्स में 100% इंटरेस्ट था। 16 मार्च, 2022 को, SEBI चेयरपर्सन के रूप में नियुक्ति के बाद, उन्होंने चुपचाप शेयर अपने पति को ट्रांसफर कर दिए।
बुच दंपति ने कहा- सिंगापुर के फंड में निवेश 2015 में, SEBI से 2017 में जुड़ीं माधबी
धवल 2010 से 2019 के बीच यूनिलीवर में काम करते हुए लंदन और सिंगापुर में रहे। माधबी 2011 से 2017 के बीच सिंगापुर में एक प्राइवेट इक्विटी फंड, फिर स्वतंत्र कंसल्टेंट रहीं। हिंडनबर्ग ने जिस निवेश की बात की है, वह दंपती ने 2015 में किया था।
2017 में माधबी SEBI में आईं। यह निवेश धवल ने बचपन के दोस्त अनिल आहूजा की सलाह पर किया, जो उसके CEO थे। 2018 में आहूजा ने यह फंड छोड़ दिया। तब तक इस फंड ने अडाणी समूह की किसी कंपनी के बॉन्ड, इक्विटी में निवेश नहीं किया था।
धवल 2019 में ब्लैकस्टोन फंड से जुड़े। वे फंड की रियल एस्टेट विंग में नहीं थे। तब तक माधबी SEBI की चेयरमैन नहीं बनी थीं। धवल ने जब सिंगापुर स्थित फंड की संयुक्त हिस्सेदारी को अपने नाम किया, तो जानकारी SEBI के साथ सरकार को दी थी। यह जानकारी सिंगापुर सरकार और देश के आयकर विभाग को भी है।
हिंडनबर्ग ने पहले से पब्लिक डोमेन में मौजूद जानकारियों को रहस्योद्घाटन जैसा बताया है। लेकिन SEBI के नोटिस का जवाब आज तक नहीं दिया। हिंडनबर्ग ने कई भारतीय कानूनों का उल्लंघन किया है।
अडाणी समूह ने कहा- हिंडनबर्ग ने जिनके नाम लिए, उनसे कारोबारी रिश्ते नहीं
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर अडाणी समूह ने कहा है, SEBI प्रमुख से ग्रुप के कारोबारी रिश्ते नहीं हैं। SEBI प्रमुख के साथ जिन लोगों के नाम लिए गए हैं, उनसे भी समूह का लेनदेन नहीं है। विदेशी होल्डिंग पर उठाए गए सवाल बेबुनियाद हैं। समूह की विदेशी होल्डिंग का स्ट्रक्चर पूरी तरह पारदर्शी है। इसका इस्तेमाल धन के हेरफेर के लिए नहीं किया गया।
ग्रुप ने कहा- हिंडनबर्ग ने अपने फायदे के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी का गलत इस्तेमाल किया। अडाणी ग्रुप पर लगाए आरोप पहले ही निराधार साबित हो चुके हैं। गहन जांच के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2024 में हिंडनबर्ग के आरोपों को खारिज कर दिया था।
हिंडनबर्ग ने रविवार शाम बुच दंपति पर उठाए नए सवाल
इस बीच, बुच दंपती पर रविवार शाम हिंडनबर्ग ने फिर सवाल उठाए। सोशल मीडिया पर दस्तावेजों के साथ बताया कि SEBI में रहते हुए माधबी विदेशी फंड से जुड़ी थीं। हिंडनबर्ग के नए सवाल…
माधबी के जवाब से पुष्टि होती है कि उनका बरमूडा/मॉरीशस के फंड में निवेश था, जिसका पैसा विनोद अडाणी ने इस्तेमाल किया। यह फंड उनके पति के बचपन के दोस्त चलाते थे, जो उस समय अडाणी के डायरेक्टर थे।
SEBI को अडाणी संबंधित निवेश फंड की जांच का जिम्मा दिया था, जिसमें माधबी के व्यक्तिगत निवेश वाले फंड भी शामिल थे। यह हितों का बड़े टकराव का स्पष्ट मामला है।
बुच ने दावा किया है कि वे दोनों कंल्सटिंग कंपनियों से 2017 में SEBI में नियुक्त होते ही हट गई थीं। लेकिन मार्च 2024 की शेयरहोल्डिंग बताती है कि अगोरा एडवायजरी (इंडिया) में माधबी की 99% हिस्सेदारी है। यह कंपनी अब भी कमाई कर रही है।
अगोरा पार्टनर्स सिंगापुर में माधबी की 16 मार्च 2022 तक 100% हिस्सेदारी थी, यानी SEBI में पूर्णकालिक सदस्य रहते समय तक। उन्होंने SEBI चेयरपर्सन बनने के दो हफ्ते बाद अपने शेयर पति के नाम पर ट्रांसफर किए थे।
अगोरा एडवायजरी ने वित्त वर्षों (22,23, 24) में 2.3 करोड़ रुपए राजस्व कमाया, जबकि इस दौरान वे SEBI की चेयरपर्सन हैं।
यह भी अहम है कि बुच ने SEBI का पूर्णकालिक सदस्य रहते हुए अपने निजी ई-मेल आईडी से अपने पति के नाम का इस्तेमाल कर बिजनेस किया।