लोकसभा चुनाव 2014 : ‘मोदी मैजिक’ में उड़ा विपक्ष, नेता प्रतिपक्ष को तरसा सदन

2014 लोकसभा चुनाव के नतीजे भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए ऐतिहासिक रहे, एक का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन और दूसरे का सबसे खराब प्रदर्शन।

भाजपा ने 282 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत हासिल कर स्वतंत्र भारत के 67 साल के इतिहास में जादुई संख्या को पार करने वाली पहली गैर-कांग्रेसी पार्टी बनकर इतिहास रच दिया। इसने उत्तर प्रदेश में अपनी सबसे बड़ी छाप छोड़ी। 2009 के चुनाव में यूपी में केवल दस सीटें जीतने वाली पार्टी ने 2014 में 80 में से 71 सीटें हासिल कीं। वहीं कांग्रेस अपने निचले स्तर पर पहुंच गई।

पिछले चुनाव की 206 सीटों से घटकर यह सिर्फ 44 सीटों पर आ गई। उत्तर प्रदेश में राहुल की अमेठी और सोनिया गांधी की रायबरेली सीट के अलावा कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत सकी।

भाजपा में अहम बदलाव
आम चुनाव से पहले सितंबर, 2013 अनुभवी नेता लालकृष्ण आडवाणी की जगह गुजरात तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को भाजपा ने प्रधानमंत्री के चेहरे के रूप में प्रस्तुत करने का फैसला किया। उस समय पार्टी ने कहा कि यह निर्णय लोगों की भावनाओं और आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

नेता प्रतिपक्ष बिना सदन
भाजपा के पक्ष में जनादेश ऐसा था कि कोई भी अन्य दल आधिकारिक विपक्षी दल भी नहीं बन सका, क्योंकि उस पद तक पहुंचने के लिए किसी भी पार्टी को लोकसभा में 10 प्रतिशत यानी 55 सीटें हासिल करनी होती है। इस प्रकार 16वीं लोकसभा नेता प्रतिपक्ष के बिना ही अपना कार्यकाल पूरा किया।

प्रधानमंत्री बने मोदी
नरेन्द्र मोदी ने 26 मई, 2014 को एक समारोह में भारत के 15वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली, जिसमें सभी सार्क देशों के प्रमुखों ने भाग लिया।
543 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में सात अप्रैल से 12 मई के बीच नौ चरणों में आयोजित किया गया चुनाव।
8,251 उम्मीदवार थे मैदान में, 1996 के लोकसभा चुनाव के बाद सबसे अधिक।
9.19 लाख से ज्यादा बूथों पर मतदान कराया गया।

आजादी के बाद कांग्रेस को मिली सबसे बड़ी हार
2014 का लोकसभा चुनाव, आजादी के बाद का पहला ऐसा चुनाव था, जिसमें कांग्रेस को इनती बुरी हार मिली हो. इस चुनाव में कांग्रेस ने कुल 464 सीटों पर अपने उम्‍मीदवार खड़े किए थे. जिसमें महज 44 उम्‍मीदवार चुनाव जीतकर संसद पहुंचने में कामयाब रहे. इस चुनाव न केवल 178 उम्‍मीदवारों की जमानत जब्‍त हुई, बल्कि 19 राज्‍यों में कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल सकी. इन राज्‍यों में गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्‍मू और कश्‍मीर, नागालैंड, उड़ीसा, राजस्‍थान, सिक्किम, त्रिपुरा, झारखंड, उत्‍तराखंड, अंडमान-निकाबोर, चंडीगढ़, दादर नगर हवेली, दिल्‍ली, दमन दीव, लक्ष्‍यदीव और पुदुचेरी शामिल है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने कर्नाटक में सर्वाधिक 9 सीटें जीतीं. इसके अलावा, आंध्र प्रदेश में 2, अरुणाचल प्रदेश में 1, असम में 3, बिहार में 2, हरियाणा में 1, केरल में 8, मध्‍य प्रदेश में 2, महाराष्‍ट्र में 2, मणिपुर में 2, मेघालय में 1, मिजोरम में 1, पंजाब में 3, उत्‍तर प्रदेश में 2, पश्चिम बंगाल में 4 और छत्‍तीसगढ़ में 1 सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की.

बीजेपी ने इन छह राज्‍यों में किया था क्‍लीन स्‍वीप
लोकसभा चुनाव 2014 में बीजेपी ने कुल 428 उम्‍मीदवार चुनावी मैदान में उतारे थे, जिसमें 282 उम्‍मीदवार चुनाव जीतकर संसद पहुंचने में कामयाब रहे थे. इस चुनाव में पांच राज्‍य ऐसे भी थे, जहां बीजेपी ने क्‍लीन स्‍वीप किया था. इन राज्‍यों में गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, उत्‍तराखंड, दिल्‍ली और राजस्‍थान का नाम शामिल है. बीजेपी ने गोवा में 2, गुजरात में 26, हिमाचल प्रदेश में 4, उत्‍तराखंड में 5, दिल्‍ली में 7 और राजस्‍थान में 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में संख्‍या के आधार पर बीजेपी को सबसे बड़ी जीत उत्‍तर प्रदेश से मिली थी. उत्‍तर प्रदेश में बीजेपी ने कुल 71 सीटों पर अपना परचम लहराया था. चुनाव आयोग के आंकड़ो के अनुसार, इस चुनाव में बीजेपी ने आंध्र प्रदेश से 3, अरुणाचल प्रदेश से 1, असम से 7, बिहार से 22, हरियाणा से 7, जम्‍मू और कश्‍मीर से 3, कर्नाटक से 17, मध्‍य प्रदेश से 27, महाराष्‍ट्र से 23, उ‍ड़ीसा से 1, पश्चिम बंगाल से 2, छत्‍तीसगढ़ से 10, झारखंड से 12, अंडमान से एक, चंडीगढ़ से एक, दादर नगर हवेली से 1 और दमन दीव से 1 सीट पर जीत हासिल की थी.

BSP के 447 प्रत्‍याशियों की जब्‍त हुई जमानत
संसद की दहलीज में बतौर सांसद कदम रखने के लिए लोकसभा चुनाव 2014 में 8271 उम्‍मीदवारों ने अपनी किस्‍मत आजमाई थी. जिसमें नेशनल स्‍टेटस रखने वाली 6 पार्टियों के 1591 उम्‍मीदवार शामिल थे. इस चुनाव में कुल 7000 उम्‍मीदवारों की जमानत जब्‍त हुई थी, जिसमें राष्‍ट्रीय दलों के 807 उम्‍मीदवार शामिल थे. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, लोकसभा चुनाव 2014 में बीएसपी ने कुल 503 उम्‍मीदवार चुनाव मैदान में उतारे थे, जिसमें एक भी उम्‍मीदवार चुनाव नहीं जीत पाया था. इस चुनाव में बीएसपी के सर्वाधिक 447 उम्‍मीदवारों की जमानत जब्‍त हो गई थी. इसके अलावा, लोकसभा चुनाव 2014 में बीजेपी के 62, सीपीआई के 1, सीपीएम के 50, कांग्रेस के 178 और एनसीपी के 13 उम्‍मीदवारों की जमानत जब्‍त हुई थी.

इन तीन घोटालों ने खिलकाया कांग्रेस का जनाधार
2004 से 2014के बीच हुए तीन बड़े घोटालों ने कांग्रेस के जनाधार में सबसे बड़ी चोट की. दरअसल, 2008 में सबसे पहले 2 जी स्‍पेक्‍ट्रम घोटाला सामने आया. जिसमें यूपीए सरकार में शामिल मंत्रियों पर कथित तौर पर निजी मोबाइल कंपनियों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगा. सरकार पर आरोप था कि इन निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए गलत तरीके से मोबाइल स्‍पेक्‍ट्रम का आवंटन हुआ, जिससे देश के राजस्‍व को करीब 1.76 लाख करोड़ का नुकसान हुआ. इसके बाद आया 2010 का कामनवेल्‍थ गेम्‍स घोटाला. दरअसल, 2010 में भारत ने कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स की मेजबानी की थी. जिसके आयोजन में व्‍यापक स्‍तर पर घोटाले के आरोप लगे थे. इसके अलावा, 2012 में हुए कोयला घोटाले की वजह से कांग्रेस के नेतृत्‍व वाली यूपीए सरकार को किरकिरी झेलनी पड़ी. कथित तौर पर 1.86 लाख करोड़ हुए इस घोटाले का खुलासा होने के बाद सितबंर 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने 214 खदानों के आवंटन को रद्द कर दिया था. इन घोटालों के बीच देश में अन्‍ना हजारे ने भष्‍ट्राचार के खिलाफ एक अभियान शुरू किया. जिसका सबसे बड़ा नुकसान सत्‍तारूढ़ कांग्रेस को हुआ.