ज़बान से नहीं दिमाग से सियासत करते है पी० वी० नरसिंह राव | P.V. Narasimha Rao

आज मैं जिस युग निर्माता का विश्लेषण करने जा रहा हूं उसकी उपलब्धियों, उसकी योग्यता और क्षमता के कारण दुनिया में आज हमारे करोड़ों बच्चे रोजगार पा रहे हैं। उस शख़्स का नाम था पीवी नरसिम्हा राव। जिसे कहते हैं कि वह जबान से नहीं दिमाग से सियासत करते थे। पीवी नरसिम्हा राव का जन्म बंगारा गांव, करीम नगर जिले आंध्र प्रदेश में हुआ था 83 साल के उम्र में 23 दिसंबर 2004 को उनका निधन हुआ। तमाम उतार चढ़ाव के बीच उन्होंने अपनी सियासत जारी रखी। 10 वर्षों से अधिक समय तक आंध्र प्रदेश मंत्रीमंडल में शामिल रहे। 71 से 73 तक मुख्यमंत्री रहे और इंदिरा गांधी के नजदीक होने के कारण वो गृह मंत्री, विदेश मंत्रालय एवं कई मंत्रालयों पर शामिल रहे 1991 में एक ऐसा समय आया था जब उनकी तबीयत नहीं ठीक थी और कहा जाता है कि पीवी नरसिम्हा राव जी अपने सामान को अपने गृह जनपद करीम नगर बंगारा गांव में ले जाना चाहते थे लेकिन किसी उनके ज्योतिषी मित्र ने कहा थोड़े दिन रुक जाइए और उसके कहने पर वो रुक गए दुर्भाग्यवश 21 मई 1991 को वो घटना घटित हुई जिसने नरसिम्हा राव को प्रधानमंत्री बनने का अवसर दिया। दक्षिण भारत के एक दौरे में चुनाव के दौरान राजीव गांधी की हत्या हो गई।