देश में पहला चुनाव 1951 में हुआ था और तब से अब तक 35 सांसद निर्विरोध जीते हैं, उनके सामने कोई दूसरा प्रत्याशी मैदान में नहीं था। सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव भी पहली बार 2012 में निर्विरोध जीत कर ही संसद में पहुंची थीं।
कल ही (23-04-24)भाजपा के मुकेश दलाल चुनाव लड़े बिना ही जीत गए। जिस सूरत लोकसभा सीट से खड़े हैं, वहां मतदान 7 मई को होने है लेकिन मुकेश को अभी ही विजेता घोषित कर दिया गया है। दरअसल, सूरत लोकसभा से बाक़ी सभी दावेदारों ने नामांकन पत्र वापस ले लिए और जिस इकलौते कांग्रेसी उम्मीदवार ने पर्चा भरा था, उनका पर्चा दस्तख़त न मिलने पर रद्द कर दिया गया। मुकेश सूरत से निर्विरोध सांसद चुन लिए गए। संभवतः वो भाजपा के पहले उम्मीदवार हैं, जिन्होंने संसदीय चुनाव निर्विरोध जीत हासिल की है। अरुणाचल प्रदेश में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा के 10 उम्मीदवारों को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया। लेकिन यह विधानसभा का चुनाव था। जबकि अधिकतर केस सामान्य या नियमित चुनावों के हैं, पर कम से कम नौ ऐसे सांसद भी हैं, जिन्होंने उपचुनाव में निर्विरोध जीत दर्ज की है।
निर्विरोध चुनाव-
“यदि किसी निर्वाचन क्षेत्र में केवल एक ही उम्मीदवार चुनाव लड़ रहा है, तो उम्मीदवारी वापस लेने के अंतिम घंटे के तुरंत बाद उस उम्मीदवार को विधिवत निर्वाचित घोषित करें। उस स्थिति में, मतदान आवश्यक नहीं है।”
ऐसा तब होता है जब चुनाव लड़ने वाले अन्य सभी उम्मीदवार या तो दौड़ से बाहर हो जाते हैं या उनकी उम्मीदवारी खारिज कर दी जाती है।
जो उम्मीदवार बिना किसी मुक़ाबले के लोकसभा में पहुंचे, उनमें से सबसे ज़्यादा कांग्रेस से हैं। 1957 वाले चुनाव में सबसे ज़्यादा सात उम्मीदवार निर्विरोध जीते थे।