44 दिनों तक चलेगा 2024 के सत्ता का संग्राम, इतिहास में दूसरा सबसे लंबा लोकसभा चुनाव

देश में इन दिनों लोकसभा चुनावों की सरगर्मी है। 16 मार्च को चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव के लिए कार्यक्रमों की घोषणा की थी। 19 अप्रैल से 1 जून के बीच देश में सात चरण में चुनाव होने हैं। देश के चुनावी इतिहास का यह दूसरा सबसे लंबा चुनाव है। 19 अप्रैल से शुरू हो रही मतदान की प्रक्रिया 1 जून तक चलेगी। इस तरह से मतदान कराने में कुल 44 दिन का समय लगेगा।

elections 1952
पहले चुनाव में लग गए थे चार महीने
1951-52 के दौरान चुनाव की प्रक्रिया में कुल 120 दिन लगे थे। हिमाचल प्रदेश की चिनी तहसील के मतदाताओं ने देश में सबसे पहले 25 अक्तूबर 1951 को वोट डाला था। 25 अक्तूबर की सुबह छह बजे शुरू हुआ मतदान 27 अक्तूबर तक जारी रहा था। महासू जिले की चिनी तहसील के साथ ही चंबा जिले की पांगी तहसील में भी 25 अक्तूबर से मतदान की प्रक्रिया शुरू हुई जो 2 नवंबर तक जारी रही। इस दौरान इन दोनों तहसील के 20 हजार मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इन दो तहसील के अलावा बाकी हिमाचल प्रदेश में मतदान की प्रक्रिया 19 नवंबर से शुरू हुई। देश के बाकी मतदाताओं ने जनवरी-फरवरी 1952 में मतदान किया। 21 फरवरी 1952 को आखिरी चरण के वोट डाले गए। इस तरह मतदान की पूरी प्रक्रिया 120 दिन चली।
1957 आम चुनाव में मतदाता
दूसरे आम चुनाव में कम देरी
1957: चुनाव आयोग 1957 के लोकसभा चुनावों की लिए पहले से तैयार था। हिमाचल प्रदेश और पंजाब की पहाड़ियों में कुछ बर्फ से ढके निर्वाचन क्षेत्रों को छोड़कर, शेष भारत में 24 फरवरी से 15 मार्च, 1957 के बीच 20 दिनों के भीतर मतदान की प्रक्रिया को पूरा किया गया था।
1962: देश के तीसरे आम चुनाव में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ मतदान हुआ था। मतदाताओं ने 16 और 25 फरवरी, 1962 के बीच अधिकांश भाग के लिए मतदान किया था। यानी दस दिनों की अवधि में तीसरे लोकसभा चुनाव कराए गए थे।
1967: तीसरे आम चुनाव के समय 494 लोकसभा सीटें अस्तित्व में थीं, लेकिन चौथे आम चुनाव में यह संख्या बढ़कर 520 हो गई। इस बार भी लोकसभा के साथ राज्य विधानसभाओं के लिए चुनाव हुए थे। 1967 में लोकसभा के चुनाव में मतदान की प्रक्रिया महज सात दिन में पूरी कर ली गई थी।
1971: पांचवें लोकसभा के चुनाव में मतदान 1 मार्च 1971 से शुरू होकर 6 मार्च 1971 तक कराए गए थे। अधिकांश भाग के लिए छह दिन में मतदान पूरा कर लिया गया था। केरल में 3 मार्च और 6 मार्च, 1971 मतदान की तारीखें थीं लेकिन राज्य के अराजपत्रित कर्मचारियों और सरकारी स्कूल की शिक्षकों की हड़ताल की वजह से 6 मार्च और 9 मार्च, 1971 को चुनाव कराने पड़े थे। इस तरह से मतदान नौ दिन के भीतर पूरा कर लिया गया था।
जब आपातकाल के बाद हुए चुनाव
1977: 1971 के बाद अगले लोकसभा के चुनाव 1977 में आपातकाल खत्म होने के बाद कराए गए थे। नौ राज्यों और सात केंद्र शासित प्रदेशों में एक दिन में, 11 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में दो दिनों में और दो राज्यों में तीन दिनों में मतदान पूरा हुआ था। इस तरह से छठे लोकसभा के चुनाव में मतदान महज छह दिन में हो गए थे।1980 में दो दिन मतदान, अवधि केवल चार दिन

1980 यानी सातवें लोकसभा के चुनाव मात्र दो दिन में हो गए थे। ऐसा पहली बार हुआ कि पूरे देश में केवल दो दिन ही मतदान होना तय हुआ। वहीं पूरी प्रक्रिया की अवधि केवल चार दिन थी। 17 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 10 जनवरी 1980 से पहले चुनाव संपन्न हो गए थे।
1984 में आठवीं लोकसभा के चुनाव हुए थे। इसके लिए 24 और 27 दिसंबर, 1984 को मतदान हुआ था। पंजाब और असम में मौजूदा कानून और व्यवस्था की स्थिति के कारण मतदान नहीं हुआ था। ये चुनाव बाद में कराए गए थे।
1989: नौवीं लोकसभा के चुनाव कई मायनों में अलग थे। इससे पहले 1988 में 61वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम पारित किया गया जिससे मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई। मतदान 22-26 नवंबर 1989 के बीच हुए थे। यानी मतदान की प्रक्रिया पांच दिन चली।
राजीव की हत्या के चलते कुछ मतदान स्थगित
1991: 10वीं लोकसभा के लिए 20 मई 1991 को 211 सीटों की लिए मतदान कराया गया। इसी दौरान मद्रास के पास चुनाव प्रचार के दौरान राजीव गांधी की हत्या कर दी गई। इसके चलते शेष मतदान स्थगित कर दिया गया। बाद में 12 जून और 15 जून, 1991 को मतदान कराया गया। सुरक्षा कारणों से तीन राज्यों में मतदान बाद की लिए स्थगित कर दिया गया। इस तरह से 27 दिन में मतदान की प्रक्रिया पूरी की गई।
1996: 11वीं लोकसभा के लिए चुनाव 1996 में हुए थे। 27 अप्रैल, 2 मई और 7 मई 1996 को मतदान कराया गया था। इस तरह से मतदान की प्रक्रिया 21 दिन चली थी।
1998: 12वीं लोकसभा के लिए देश में चार चरण में मतदान हुआ। मतदान की तारीखें 16, 22, 28 फरवरी और 7 मार्च, 1998 थीं। मतदान की प्रक्रिया 20 दिन में पूरी कर ली गई थी।
1999: 13वीं लोकसभा के लिए 1999 में चुनाव हुआ था। 1999 के आम चुनाव के लिए मतदान की तारीखें 4 सितंबर, 11 सितंबर, 17 सितंबर, 24 सितंबर और 1 अक्तूबर 1999 थीं। इस बार मतदान की प्रक्रिया 28 दिन तक चली।
2004: 14वीं लोकसभा के गठन के लिए चार चरणों में आम चुनाव हुआ था। मतदान की तारीखें 20 अप्रैल, 26 अप्रैल, 5 मई, 10 मई, 2004 थीं। मतदान की प्रक्रिया 21 दिन में पूरी की गई।
2009: चुनाव आयोग ने 15वीं लोकसभा के गठन के लिए पांच चरणों में आम चुनाव कराया था। मतदान की तारीखें 16 अप्रैल, 22 अप्रैल, 23 अप्रैल, 30 अप्रैल, 7 मई और 13 मई, 2009 रहीं। इस तरह से 28 दिन में मतदान की प्रक्रिया पूरी की गई।
2014 में नौ चरणों में चुनाव
16वीं लोकसभा के सदस्यों का चुनाव करने के लिए देशभर में 7 अप्रैल से 12 मई 2014 तक नौ चरणों में आम चुनाव हुए थे। इस बार के चुनाव के लिए मतदान की तारीखें 07 अप्रैल, 09 अप्रैल, 10 अप्रैल, 11 अप्रैल, 12 अप्रैल, 17 अप्रैल, 24 अप्रैल, 30 अप्रैल, 07 मई और 12 मई 2014 थीं। इस तरह से 36 दिनों की अवधि में 2014 के लोकसभा चुनाव कराए गए थे।पिछली बार भी सात चरणों में चुनाव

17वीं लोकसभा के लिए 11 अप्रैल से 19 मई 2019 तक सात चरणों में आम चुनाव हुए थे। इस बार के चुनाव के लिए मतदान की तारीखें 11 अप्रैल, 18 अप्रैल, 23 अप्रैल, 29 अप्रैल, 06 मई और 12 मई और 19 मई 2019 थीं। इस तरह से पिछली बार 39 दिनों की अवधि में देशभर में मतदान कराए गए थे। हालांकि, चुनाव के दौरान तमिलनाडु के वेल्लोर संसदीय क्षेत्र में भारी मात्रा में अवैध धनराशि जब्त होने के कारण इस सीट पर मतदान स्थगित कर दिया गया था। वेल्लोर में अगस्त 2019 में मतदान हुआ था।